सुखद अनुभव का ऐहसास


आज इस समय मेरे पिताजी की उम्र लगभग 69 हो गये है। एक दिन की बात है जब मैंने अपने पिताजी के लिये इलेक्ट्रीक साईकिल खरीदने का विचारा बनाया। उस समय मैं अपने पिताजी को साईकिल स्टोर के दुकान पर लेकर गया, वहां रखी मे से एक साईकिलो को बड़े ही ध्यान से देखा और उसमें से एक साईकिल को पसंद किया। साईकिल लेकर हम घर वापस आने लगे। तभी घर नजदीक आने पर मैंने अपने पिताजी से कहा कि अब आप चलाकर आइयें। उस समय बड़ी ही उत्सुकता के साथ पिताजी ने साईकिल की सवारी की और घर तक आने लगे। उस समय पिताजी को साईकिल चलाते देखकर मुझे एक अकल्पनीय सुखद का एहसास हुआ। जिसे कभी भुलाया नही जा सकता। 


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